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NCERT ने पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा के लिए बनाई समिति, जानें किन चीजों पर हो रहा है विवाद?



राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने पाठ्यपुस्तकों में तथ्यात्मक गलतियों और ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रण को लेकर उठे विवादों के बाद एक समिति गठित की है. यह समिति जयसालमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने, अहोम इतिहास के कथित गलत चित्रण और 1817 के पैका विद्रोह को हटाने जैसे मुद्दों की जांच करेगी. समिति का नेतृत्व प्रोफेसर रंजना अरोड़ा करेंगी.

स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के चित्रण को लेकर चल रहा विवाद अब और गहरा गया है. एनसीईआरटी ने हाल ही में संशोधित पाठ्यपुस्तकों में कुछ तथ्यों और ऐतिहासिक घटनाओं के गलत प्रस्तुतीकरण को लेकर मिली शिकायतों के बाद एक विशेषज्ञ समिति गठित की है.

 इस समिति का गठन पाठ्यपुस्तकों में जयसालमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने, अहोम इतिहास के कथित गलत चित्रण और ओडिशा के पैका विद्रोह को हटाने जैसे मुद्दों की जांच के लिए किया गया है. समिति को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, ताकि इन विवादों का समाधान हो सके.

जयसालमेर और मराठा साम्राज्य का विवाद

दरअसल, कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में जयसालमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने पर तीखी आलोचना हुई है. जयसालमेर के पूर्व शाही परिवार के वंशज चैतन्य राज सिंह ने इसे “ऐतिहासिक रूप से गलत और तथ्यात्मक रूप से निराधार” बताया है. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस “गलत और दुर्भावनापूर्ण” सामग्री को ठीक करने की मांग की है. इतिहासकारों का कहना है कि जयसालमेर एक स्वतंत्र राजपूत रियासत थी, और इसे मराठा साम्राज्य के अधीन दिखाना ऐतिहासिक तथ्यों से खिलवाड़ हैय

पैका विद्रोह और अहोम इतिहास पर सवाल

एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से 1817 के पैका विद्रोह को हटाने पर भी सवाल उठे हैं. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसे “ओडिशा के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण” बताते हुए इसे हटाने की निंदा की है. उन्होंने कहा कि पैका विद्रोह 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से चार दशक पहले हुआ था. उसको हटाना पैकाओं के गौरवशाली योगदान को कम करता है. इसके अलावा, असम के अहोम इतिहास के चित्रण पर भी आपत्तियां दर्ज की गई हैं, जिसे समिति द्वारा जांचा जाएगा.

दक्षिण भारतीय राजवंशों की भी हो रही चर्चा 

हाल ही में अभिनेता आर. माधवन ने भी पाठ्यपुस्तकों में दक्षिण भारतीय राजवंशों जैसे चोल, पांड्य, पल्लव और चेरा को कम महत्व देने पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि पाठ्यपुस्तकों में मुगल और ब्रिटिश शासन पर अधिक ध्यान दिया गया है, जबकि दक्षिण भारत के गौरवशाली इतिहास को नजरअंदाज किया गया है. इतिहासकारों ने भी इस असंतुलन की आलोचना की है और मांग की है कि सभी क्षेत्रों के इतिहास को समान महत्व दिया जाए.

एनसीईआरटी ने क्या प्रतिक्रिया दी 

एनसीईआरटी ने कहा है कि वह नियमित रूप से पाठ्यपुस्तकों की सामग्री और शिक्षण पद्धति पर मिलने वाली प्रतिक्रियाओं की समीक्षा करता है. इस समिति में वरिष्ठ विशेषज्ञ शामिल हैं, जो उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सभी शिकायतों की गहन जांच करेंगे. कक्षा 8 तक की सभी नई पाठ्यपुस्तकें जारी हो चुकी हैं, जबकि कक्षा 9 से 12 तक की किताबें इस साल के अंत तक आने की उम्मीद है. समिति की रिपोर्ट से यह तय होगा कि इन विवादों का समाधान कैसे किया जाएगा, ताकि छात्रों को सटीक और संतुलित इतिहास पढ़ाया जा सके.



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